एक और वर्ष, कुछ और सबक। २०१६ ने हमें २०१७ हेतु तैयार किया
पिछले वर्ष की प्रमुख घटनाओं हेतु एक विस्तृत और उपयोगी संसाधन
२०१६ - एक वर्ष जिसने बहुत सबक सिखाये
हर वर्ष की ही तरह, हमने २०१६ की शुरुआत अनेकों उम्मीदों और हर्षोल्लास से की थी। हम अपनी आकाँक्षाओं हेतु कितने प्रयासरत रहे। हम सफल भी हुए, और कभी विफल भी रहे। किन्तु हमने सबक सीखे। और यहाँ प्रस्तुत हैं २०१६ के सबक की उपयोगी सूची, इन शीर्षकों में - राजनीति (भारत / विश्व / क्षेत्रीय), अर्थव्यवस्था (भारत / विश्व), अन्य व सकारात्मक। पढ़िए, सीखिये, तरक्की कीजिये!
राजनीति २०१६
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- भारत – अनेक राज्यों में भाजपा और स्थानीय दलों के बीच तीव्र ध्रुवीकरण
- क्षेत्रीय दल केंद्रीय परियोजनाओं के माध्यम से प्रधानमंत्री की ब्रांडिंग का यह कहते हुए निरंतर विरोध करते रहे कि भारत जैसी संघीय व्यवस्था में (जो वास्तव में अर्ध-संघीय है) यह न तो वांछनीय है और न ही उचित है। इसपर प्रधानमंत्री की प्रतिक्रिया और भी अधिक आक्रामक नई योजनाओं और विचारों की शुरुआत के रूप में थी!
गहराई से जानें [##fa-leaf## भारतीय राजनीति के रुझान] - भारत – सहिष्णुता और असहिष्णुता पर वर्ष २०१५ की बहस
- उदारवादी बनाम दक्षिणपंथी बहस को २०१५ में अधिक महत्व प्राप्त हुआ किन्तु वर्ष 2016 में यह चल नहीं सकी। परंतु दोनों ही पक्ष काफी मजबूत हैं और नई शक्तियां, प्रभाव की रूपरेखाओं को पुनः परिभाषित कर रही हैं, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें काफी प्रतिकूल प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ रहा है। भाजपा इन अब तक व्यवस्थित रूप से पोषित “उदारवादी” पक्षों को उखाड़ फेंकने के अथक प्रयास करती रही है।!
गहराई से जानें [##fa-leaf## धर्म-निरपेक्षता के अनेक रंग] - भारत – प्रधानमंत्री मोदी का विमुद्रीकरण का कदम - अनपेक्षित और हानिकारक?
- इस कदम ने पुरानी राजनीतिक शत्रुता को एक बार फिर से मुखर कर दिया। बंगाल की तृणमूल कांग्रेस और सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस ने अपने दांत खुले तौर पर अनावृत्त किये, और इस कदम के भरसक विरोध के माध्यम से अधिकतम राजनीतिक लाभ उठाने का प्रयास किया।
गहराई से जानें [##fa-leaf## विमुद्रीकरण बोधि १] [##fa-leaf## विमुद्रीकरण बोधि २] - भारत – महत्वपूर्ण राज्य चुनाव सभी के लिए स्थितियां जटिल बनाते हुए
- महत्वपूर्ण राज्यों में वर्ष 2017 में होने वाले विधानसभा चुनाव संभवतः वर्ष 2019 के संसदीय चुनावों की बिसात बिछाने का काम करेंगे, जहाँ भाजपा ने उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनावों में अपना सर्वस्व दांव पर लगा दिया है। इन चुनावों में स्पष्ट विजय उसे कुछ समय के लिए अजेय बना सकती है।
गहराई से जानें [##fa-leaf## भारत में शासन] [##fa-leaf## सहकारी संघवाद] - विश्व – दक्षिणपंथ की ओर झुकाव
- विश्वस्तर पर यह स्पष्ट रूप से महसूस किया गया कि विशाल संख्या में लोग उदारवादी व्यवस्था के विरोध में खड़े हो गए हैं। ब्रेक्सिट, यूरोप की आप्रवास-विरोधी भावनाएं, ट्रम्प की विजय और इटली का जनमतसंग्रह सभी उसी दिशा में संकेत प्रदान करते हैं। यूरोप में हुए आतंकवादी हमलों ने उदारवादियों को धीरे-धीरे अपना कड़ा रुख नर्म करने को मजबूर किया।
गहराई से जानें [##fa-leaf## विश्व राजनीति - विवर्तनिक परिवर्तन] - विश्व – अमेरिका में तीव्र दक्षिणपंथी परिवर्तन
- वर्ष के अंत में यह स्पष्ट हो गया कि ट्रम्प प्रशासन वर्तमान समीकरण को विद्यमान स्वरुप में चलने की अनुमति नहीं देगा, और चीन पर कुछ नए व्यापार नियमों के लिए दबाव बनाएगा। नव-निर्वाचित राष्ट्रपति द्वारा किये गए कठोर वक्तव्यों ने वाशिंगटन की व्यवस्था को आश्चर्य और अविश्वास का धक्का दिया, विशेष रूप से ताइवान और नाटो के संबंध में उनके द्वारा दिए गए बयानों ने। रूस समर्थित बशर असद शासन की वर्ष के अंत में एलेप्पो को वापस प्राप्त करने में हुई विजय ने स्थितियों को और अधिक जटिल बना दिया।
गहराई से जानें [##fa-leaf## भारत और विश्व राजनीति] - क्षेत्रीय – चीन और पाकिस्तान भारत के विरुद्ध एक रहे
- प्रत्येक बीतते महीने के साथ यह स्पष्ट होता गया कि सभी प्रयासों के बावजूद भारत के विरुद्ध चीन-पाकिस्तान की एकजुटता न तो कमजोर होगी और न ही बदली जा सकेगी। चीन ने ब्रिक्स बैठक, संयुक्त राष्ट्र और एनएसजी (परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह) जैसे सभी मंचों पर पाकिस्तान का समर्थन किया। भारत ने हाफिज सईद के और साथियों का भी नाम आतंकी सूची में डालने का लेकर अपना दांव बढाने का निर्णय लिया ताकि चीन के लिए लंबे समय तक इस खेल को जारी रखना कठिन बनाया जा सके।
गहराई से जानें [##fa-leaf## भारत की रक्षा तैयारी] - क्षेत्रीय – रूस चीन के अधिक निकट बढ़ रहा है -
- कच्चे माल की चीन की मांग और रूस की राजस्व की आवश्यकता ने इन दोनों अग्रणी देशों को अधिक निकट लाने का काम किया। चीन ने रूस को पाकिस्तान से एक कदम निकट लाकर इस नई मित्रता का भारत के हितों के विरुद्ध उपयोग करने की शुरुआत की। भारत ने रूस को पुरानी दोस्ती का हवाला देते हुए और उसकी याद दिलाते हुए अपनी प्रतिक्रिया दी, और इसी संदर्भ में विशाल अनुबंधों की खैरात रूस को दी।
गहराई से जानें [##fa-leaf## वैश्वीकरण और विश्व अर्थव्यवस्था] - क्षेत्रीय – भारत दक्षिण एशियाई और अन्य शक्तियों के साथ संबंध मजबूत बना रहा है
- मजबूत सामरिक पदचिन्ह स्थापित करने के उद्देश्य से भारत ने दक्षिण एशिया, हिंद महासागर क्षेत्र के अनेक देशों और जापान के साथ संबंधों को मजबूत करने का अपना काम जारी रखा। चीन ने बांग्लादेश जैसे देशों को विशाल वित्तीय सहायता और सैन्य उपकरणों की बिक्री के साथ इसपर अपनी प्रतिक्रिया दी। प्रत्येक गुजरते वर्ष के साथ यह खेल अधिकाधिक घातक होता जा रहा है।
गहराई से जानें [##fa-leaf## दक्षेस पर आतंक का साया] - क्षेत्रीय – One Belt One Road - CPEC (एक पट्टा, एक सड़क - सीपीईसी) - दक्षिण चीन सागर
- चीन ने अति-महत्वाकांक्षी एक पट्टा, एक सड़क (जो शी जिनपिंग के दिमाग की उपज है) परियोजना और पाक अधिकृत कश्मीर से गुजरने वाले चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सिपेक) के माध्यम से एशियाई क्षेत्र में बढ़त प्राप्त करने के लिए विशाल मात्रा में निधीयन जारी रखा। दक्षिण चीन सागर पर चीन के दावे को एक अंतर्राष्ट्रीय न्यायाधिकरण ने खारिज कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप मजबूरी में चीन ने इस क्षेत्र में सैन्य तैनाती के अपने रुख को और अधिक मजबूती के साथ जारी रखा। भारत ने इस क्षेत्र में वियतनाम और अन्य देशों के साथ निकटता बढाई।
गहराई से जानें [##fa-leaf## मोदी सरकार का मध्यांतर]
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[इस बोधि को अंग्रेजी में पढ़ें]
अर्थव्यवस्था २०१६
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- भारत – कार्यपालिका द्वारा मौद्रिक व्यवस्था की अप्रत्याशित पुनः परिभाषा
- प्रधानमंत्री द्वारा काले धन से लड़ने की रणनीति को पूरी तरह से परिवर्तित करने का निर्णय लिया गया। उच्च-मूल्य की मुद्रा के नोटों के विमुद्रीकरण ने स्थानीय अर्थव्यवस्था में एक सुनामी ला दी जिसके परिणाम लंबे समय तक महसूस किये जाते रहेंगे। और यह भी तब जब इसके वास्तविक प्रभाव के संबंध में कोई भी अधिक आश्वस्त नहीं है।
गहराई से जानें [##fa-leaf## विमुद्रीकरण बोधि १] [##fa-leaf## विमुद्रीकरण बोधि २] - भारत – अर्थव्यवस्था अभी भी निवेश की कम गति से जूझ रही है
- निजी क्षेत्र के निवेश की मात्रा संपूर्ण वर्ष कम रही। सार्वजनिक व्यय पीछे नहीं रहा है परंतु यह अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में वृद्धि की दृष्टि से पर्याप्त नहीं था। वर्ष २०१७ का दृष्टिकोण मिश्रित स्वरुप का बना हुआ है। हालांकि भारत ने असफल होती वैश्विक अर्थव्यवस्था के बीच चीन को पीछे छोड़ते हुए ‘‘सर्वाधिक तेज गति से बढती अर्थव्यवस्था” की अपनी स्थिति को बनाए रखा है। जनवरी से मार्च के बीच वर्ष-दर-वर्ष वृद्धि की दृष्टि से भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर ७.५ प्रतिशत रही, जो पिछली तिमाही के ७.३ प्रतिशत से अधिक तेज थी। जून में इसमें ७.६ प्रतिशत की वृद्धि हुई और बाद में ७.१ प्रतिशत की। विमुद्रीकरण ने कुछ निश्चित ही गंभीर समस्याएँ निर्माण की हैं।
गहराई से जानें [##fa-leaf## भारतीय आर्थिक परिदृश्य] - भारत –. अब तक के सबसे बड़े कर सुधार पर अभी भी कार्य जारी है
- जीएसटी शासन की शुरुआत की जानी है, जो संभवतः अप्रैल तक या अधिक से अधिक जुलाई-अगस्त २०१७ तक शुरू हो जाएगा। विमुद्रीकरण ने इस काम में अस्थायी अडंगा डाल दिया है, जहाँ अनेक राज्य करदाताओं पर दोहरे नियंत्रण इत्यादि जैसे अत्यंत महत्वपूर्ण लंबित मुद्दों पर सहमत नहीं हो पा रहे हैं। इस दौरान, भारत से होने वाले विशाल पूँजी बहिर्वाह के बीच रुपये में लगातार गिरावट का रुख जारी है (डाॅलर के मजबूत होने और अमेरिकी फेडरल द्वारा ब्याज दरों में की गई वृद्धि के बाद अमेरिका में होने वाले पूँजी के बढ़ते अंतर्वाह के कारण)।
गहराई से जानें [##fa-leaf## भारत में वस्तु एवं सेवा कर] - भारत – निगमित क्षेत्र वर्ष २०१७ और जीएसटी के संबंध में आश्वस्त नहीं
- निगमित क्षेत्र को अपनी आतंरिक व्यवस्थाओं और प्रक्रियाओं में परिवर्तन करके स्वयं को जीएसटी शासन के लिए तैयार करने के लिए समय की आवश्यकता है। हालांकि यदि जीएसटी की शुरुआत अप्रैल 2017 से ही होती है तो विमुद्रीकरण के पश्चात मांग की कमी से जूझता हुआ निगमित क्षेत्र इन दो आघातों के बोझ से संभवतः काफी परेशानी में आ जायेगा। और इस सबके बीच भारत की सबसे घमासान व अनपेक्षित कॉर्पोरेट लड़ाई टाटा और मिस्री के बीच खुले आम लड़ी जाने लगी!
गहराई से जानें [##fa-leaf## टाटा मिस्री युद्ध] - भारत – नकदविहीन, अल्प नकदी, नकदी ही नहीं (cashless, less cash, no cash)
- विमुद्रीकरण के आश्चर्यजनक और अप्रत्याशित परिणाम के रूप में कुछ बड़े विजेता उभरे हैं (पेटीएम और अन्य), कुछ हद तक सरकार द्वारा की गई पुनर्परिभाषा (अल्प नकदी) और जनसंख्या के अधिकांश बड़े हिस्से को अपार कष्ट (नकदी उपलब्ध ही नहीं)। लोगों की असुविधा और इंटरनेट के मुद्दों को भांपते हुए 30 दिसंबर को प्रधानमंत्री द्वारा भीम ऍप (BHIM App - BHarat Interface for Money) की शुरुआत की गई जो आधार, एनपीसीआई (NPCI) और यूपीआई (UPI) द्वारा अनुकूलित सर्वाधिक उपयोगकर्ता - अनुकूल तरीका साबित हो सकता है।
गहराई से जानें [##fa-leaf## विमुद्रीकरण बोधि १] [##fa-leaf## विमुद्रीकरण बोधि २] - भारत – पूर्णतः आरबीआई - एनपीए, रेक्जिट, एमपीसी, नोटबंदी
- पहले रघुराम राजन ने गैर-निष्पादक परिसंपत्तियों (NPAs) के विरुद्ध लड़ाई का नेतृत्व किया जिसने भारतीय बैंकिंग व्यवस्था को मरणासन्न अवस्था तक लहूलुहान किया हुआ था। अनेक मुद्दों पर शीर्ष राजनीतिक कार्यकारियों के साथ उनके मतभेद काफी दृश्य और मुखर थे, और उन्हें दूसरे कार्यकाल के बिना प्रस्थान करना पड़ा (जिसे कुछ लोगों द्वारा रेक्जिट नाम दिया गया)। दूसरा, सरकार ने दर-निर्धारण की प्रक्रिया के आधार को अधिक व्यापक बनाने के लिए एक व्यापक आधार वाली छह-सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का गठन किया (जिसमें ३ सदस्य सरकारी थे)। और अंत में, नए आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल ने स्वयं को एक कठिन स्थिति में पाया जहाँ विमुद्रीकरण के संपूर्ण प्रभाव का बोझ उनके कंधों पर आ पड़ा। अब तक, उन्हें अपनी खामोशी के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा है। उन्होंने सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकों की एनपीए सफाई के लिए मार्च २०१७ की समय-सीमा को फिर से एक बार दोहराया है।
गहराई से जानें [##fa-leaf## न्यायपालिका - कार्यकारी विवाद] - भारत – एमेजन का आक्रमण !
- ऐसा प्रतीत होता है कि भारत अपने भविष्य के बाजार अमेरिकियों और चीनियों को तश्तरी पर सजाकर सौंप रहा है, जहाँ एमेजन, उबर, अलीबाबा, जैसी अन्य कंपनियों की ओर से विशाल मात्रा में निवेश के माध्यम से या तो प्रत्यक्ष रूप से या निवेश की गई कंपनियों (स्टार्टअप) के माध्यम से बड़े पैमाने पर निवेश किया जा रहा है। फ्लिपकार्ट और ओला जैसी स्थानीय कंपनियों ने काफी हो-हल्ला मचाया और सरकारी संरक्षण की मांग की। उदारवादी वैश्वीकरण के समर्थकों ने इस संरक्षण की मांग पर हो-हल्ला मचाया।
गहराई से जानें [##fa-leaf## भारत की डिजिटल स्वतंत्रता - अंग्रेजी लेख] - भारत – वर्ष 2017 के बजट से बड़ी आशा
- विमुद्रीकरण के उन्माद में कठिन समय का अनुभव करने वाली भारतीय जनसंख्या को आने वाले बजट से काफी उम्मीदें और आशाएं हैं। यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि सरकार बड़े कर सुधार करेगी या नहीं या केवल सतही रंग-रोगन करेगी। अनेक नकद पर निर्भरता वाले क्षेत्रों में दृश्य मंदी की स्थिति के परिप्रेक्ष्य में अब संभवतः अर्थव्यवस्था को एक बड़े सहारे की आवश्यकता होगी। औपनिवेशिक परंपराओं को तोड़ते हुए इस वर्ष बजट फरवरी के अंत में प्रस्तुत किये जाने की बजाय १ फरवरी को प्रस्तुत किया जाएगा। करोड़ों लोग जो ३१ दिसंबर रात्रि प्रधानमंत्री से किसी बड़ी घोषणा का इंतज़ार कर रहे थे, निराश हुए!
गहराई से जानें [##fa-leaf## भारत में वस्तु एवं सेवा कर] - विश्व – व्यापार वृद्धि धीमी है, विश्व व्यापार संगठन (डब्लूटीओ) आश्वस्त नहीं
- जिसे किसी समय विश्व अर्थव्यवस्था की दृष्टि से उच्च वृद्धि का वर्ष माना जा रहा था, उसका अंत कुछ हद तक निराशा में ही हुआ। विश्व की व्यापार वृद्धि (निर्यात, आयात, परिमाण) मंद रही, और सामाजिक व्याकुलता से बचने की दृष्टि से चीनी अर्थव्यवस्था स्थानीय कंपनियों को अधिक वित्तीय प्रोत्साहन से जूझती रही।
गहराई से जानें [##fa-leaf## वैश्वीकरण और विश्व अर्थव्यवस्था] - विश्व – पार-प्रशांत भागीदारी (ट्रांस-पेसिफिक पार्टनरशिप) का पतन
- ओबामा ने प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की गैर-चीन (और गैर-भारत) पार-प्रशांत भागीदारी का मजबूत दृष्टिकोण निर्मित किया था। ट्रम्प के गुट ने इसकी निंदा की है और इसे यह कहते हुए खारिज कर दिया है कि यह अमेरिकी नौकरियों पर आक्रमण है। टीपीपी का पतन हो गया है और इसमें शामिल होने वाले ११ देशों को अब सूझ नहीं रहा है कि इसका क्या किया जाए। इसके कारण चीन को लाभ हुआ है।
गहराई से जानें [##fa-leaf## विश्व राजनीति - विवर्तनिक परिवर्तन]
रक्षा, सैन्य, आतंकवाद २०१६
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- आतंकवाद – पठानकोट हवाई ठिकाने पर हमला
- कथित रूप से जैश-ए-मोहम्मद गुट के आतंकवादियों द्वारा २ जनवरी २०१६ को इस एयरबेस पर हमला किया गया। इन्हें निष्प्रभावी करने से पहले कुछ सुरक्षा कर्मी शहीद हुए। इसने प्रधानमंत्री मोदी द्वारा पाकिस्तान के साथ अपारंपारिक कूटनीतिक दृष्टिकोण की पूर्व में निर्मित की गई खुशमिजाजी को समाप्त कर दिया (इस हमले के कुछ दिन पूर्व ही मोदी और शरीफ की लंदन में मुलाकात हुई थी)। यह ठिठुरन जारी है और इसने दोनों पड़ोसी देशों के बीच किसी भी प्रकार की घनिष्ठता (सद्भाव) की सभी संभावनाओं को समाप्त कर दिया है।
गहराई से जानें [##fa-leaf## आतंकवाद का जाल] - आतंकवाद – भारतीय सेना ने बुरहान वानी को मार गिराया
- ८ जुलाई २०१६ को पाकिस्तान स्थित हिजबुल मुजाहिदीन के "विज्ञापन चेहरे" (poster boy) बुरहान वानी को एक सैन्य मुठभेड़ में सेना द्वारा मार गिराने के बाद अनेक नाराज नागरिक उसकी शव-यात्रा में शामिल हुए। आग में घी डालने के लिए पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने कश्मीरियों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए 19 जुलाई को “काले दिवस” के रूप में मनाने की घोषणा की। उसी समय पाकिस्तानी सेना की रणनीतियों के विरुद्ध “आजाद कश्मीर” में और सीपेक के लिए चीन-पाकिस्तान द्वारा जबरदस्ती भूमि अधिग्रहण के विरुद्ध गिलगित-बाल्टिस्तान में विशाल विरोध प्रदर्शन जारी थे!
- आतंकवाद – उडी सैन्य ठिकाने पर हमला
- १८ सितंबर २०१६ को आतंकवादियों ने नियंत्रण रेखा के निकट उडी के सैन्य ठिकाने पर हमला किया जिसमें १७ भारतीय सैनिक शहीद हुए। इसने आगामी नवंबर में होने वाले दक्षेस सम्मेलन की संभावनाओं को समाप्त कर दिया और साथ ही दोनों पडोसी देशों के बीच बढती शत्रुता की स्थिति को और अधिक मजबूत कर दिया।
- सेना – पाकिस्तानी आतंकवादी छावनियों के विरुद्ध सर्जिकल स्ट्राइक
- २८/२९ सितंबर २०१६ को भारतीय सेना ने नियंत्रण रेखा के पार और आजाद कश्मीर में स्थित आतंकवादी छावनियों पर सीमा-पार जाकर हमला किया जिसमें उन्हें भारी जन-क्षति हुई। पाकिस्तान ने भारत की इस कारवाई के सभी दावों को नकार दिया, और विदोधी दलों ने इन हमलों से राजनीतिक लाभ लेने के सरकार के प्रयासों का विरोध किया। कांग्रेस ने दावा किया कि इस प्रकार के हमले उसके शासनकाल में भी किये गए थे।
गहराई से जानें [##fa-leaf## आतंकवाद का जाल] - आतंकवाद – आतंकवाद की आंच दक्षेस (SAARC) तक पहुंची
- दक्षेस का आयोजन तब संदिग्ध हो गया जब भारत ने नवंबर में (इस्लामाबाद) में आयोजित होने वाले दक्षेस सम्मेलन का बहिष्कार किया, और भारत के साथ ही अन्य अनेक देशों ने भी इसका बहिष्कार किया। भारत बाद में गोवा में हुए ब्रिक्स सम्मेलन (१६ अक्टूबर २०१६) के दौरान बिम्सटेक को आगे लाया, और इस प्रकार उसने एक गैर-पाकिस्तान क्षेत्रीय समूह का प्रस्ताव प्रस्तुत किया।
गहराई से जानें [##fa-leaf## दक्षेस पर आतंक का साया] - रक्षा – अमेरिका ने भारत को प्रमुख रक्षा भागीदार के रूप में घोषित किया
- निवर्तमान ओबामा प्रशासन ने ओबामा-मोदी सद्भावना के कठोर कार्य को दिसंबर २०१६ में उस समय लगभग फलदायी बना दिया जब उन्होंने कांग्रेस को यह कानून पारित करने के लिए बाध्य किया जिसके माध्यम से भारत को अमेरिका का प्रमुख रक्षा भागीदार घोषित किया गया और साथ ही उन्होंने आने वाले प्रशासन के लिए इस कानून के किसी भी लाभ को वापस लेना काफी कठिन बना दिया। पाकिस्तान को दी जाने वाली सहायता को भी अब सशर्त बना दिया गया है।.
- रक्षा – भारत ने अग्नि-5 मिसाइल का सफल परीक्षण किया
- २६ दिसंबर को भारत ने ५००० कि.मी. की घोषित मारक क्षमता वाली परमाणु-सक्षम अग्नि-५ मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण प्रक्षेपण किया। चीन का वक्तव्य सावधानीपूर्वक था जिसमें उसने कहा कि वह दक्षिण एशिया में सामरिक संतुलन की उम्मीद करता है, साथ ही उसने आगे यह भी कहा कि “उसे आशा है कि यह परीक्षण संयुक्त राष्ट्र के मानदंडों के अनुसार किया गया था” । भारत अब और भी अधिक महत्वाकांक्षी अग्नि-६ कार्यक्रम पर कार्य कर रहा है।
गहराई से जानें [##fa-leaf## भारत की रक्षा तैयारी] [##fa-leaf## इसरो - भारत की शान] - आतंकवाद – यूरोप ने भी आतंकवाद की आंच का अनुभव किया
- यूरोप में आतंकी हमले जारी रहे जिन्होंने जर्मनी की एंजेला मार्केल जैसे नेताओं के नेतृत्व में उदारवादी विचारों के विरुद्ध दक्षिणपंथी प्रतिक्रिया की आग को हवा दी। जर्मनी के बर्लिन में हुए नवीनतम ट्रक हमले (१९ दिसंबर) ने १२ जानें लीं। १४ जुलाई को फ्रांस के नाइस में हुए इसी प्रकार के हमले में 86 लोगों की जानें गई थीं। २२ मार्च को ब्रुसेल्स में हुए हमले में ३५ लोगों ने जान गवाई थी। छिटपुट हमले निरंतर होते रहे हैं।
- रक्षा – हिंद महासागर भारत का है
- जैसे-जैसे दक्षिण एशिया में भारत की सामरिक उपस्थिति की चीन द्वारा घेराबंदी जारी रही, वैसे-वैसे भारत ने हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी उपस्थिति को बढाया, जिसके तहत उसने विभिन्न देशों के साथ अपने संबंधों को आगे बढाया और अपनी नौसैनिक उपस्थिति में भी वृद्धि की।
सकारात्मक २०१६
- [accordion]
- स्वच्छता अभियान!
- सरकार के स्वच्छ भारत अभियान ने परिणाम दिखाना शुरू कर दिया है। अब लोग अधिक जागरूक प्रतीत होते हैं, और संगीतमय कचरा उठाने वाले वाहन अब दैनंदिन व्यवहार सदृश होने लगे हैं!
गहराई से जानें [##fa-leaf## भारत की कला, संस्कृति, साहित्य] - साझा बाजार पर राजनीतिक सहमति
- सभी राजनीतिक दलों ने भारत में वस्तुओं और सेवाओं के लिए एक साझा बाजार के निर्माण का समर्थन किया है, फिर चाहे वह जीएसटी कानून के समर्थन के रूप में हो या जीएसटी परिषद के रूप में हो।
- ऊर्जावान विदेश नीति
- भारत की विदेश नीति को स्वयं प्रधानमंत्री द्वारा ही तेज़ी से आगे बढ़ाया गया है, जो अपने ऊर्जावान अंदाज में लगातार विश्व स्तर पर भारत की कार्यसूची को आगे बढाते रहे हैं।
गहराई से जानें [##fa-leaf## मोदी सरकार का मध्यांतर] - भारत के स्टार्टअप प्रकाश में आये
- अनेक भारतीय स्टार्टअप कंपनियों ने यूनिकार्न क्लब (1 अरब डाॅलर या उससे अधिक का मूल्यांकन) में प्रवेश किया, जिसने भारतीय उद्यमिता की कहानी को वजन प्रदान किया।
- भारत नेट-तटस्थ (Net-neutral) बना हुआ है
- भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने निगमों द्वारा किये जाने वाले उन प्रयासों (जिसमें फेसबुक - फ्री बेसिक्स भी शामिल है) को अवरुद्ध कर दिया है जिनके द्वारा कंपनियां नेट सेवाओं पर पृथक-पृथक शुल्क लगाना चाहती थीं।
- मेक इन इंडिया, टेस्ला
- अमेरिकी टेस्ला इंक के एलोन मस्क इलेक्ट्रॉनिक कारों के लिए उपयोग की जाने वाली लिथियम आयन बैटरी बनाने का एक विशाल कारखाना भारत में शुरू करना चाहते थे।
- घरेलू स्तर पर सकारात्मक विदेश नीति
- विदेशमंत्री सुषमा स्वराज द्वारा अत्यंत कल्पनाशील ढंग से ट्विटर के माध्यम से नागरिकों की सहायता करना जारी है।
- इसरो ने अपनी सफलता को सफलतापूर्वक दोहराया
- वर्ष 2016 में इसरो द्वारा लगभग 34 उपग्रह प्रक्षेपित किये गए, और सितंबर 2016 में एक ही राकेट पर एक साथ 20 उपग्रह कक्षा में प्रक्षेपित किये गए!
गहराई से जानें [##fa-leaf## इसरो - भारत की शान] - महिलाओं ने कुछ और स्वतंत्रता अर्जित की
- सर्वोच्च न्यायालय ने मंदिरों में महिलाओं के प्रवेश के पक्ष में निर्णय दिया। केरल के सबरीमाला मंदिर में रजोधर्म (मासिक धर्म के कारण) पारंपरिक रूप से १० से ५० वर्ष तक की महिलाओं का मंदिर में प्रवेश वर्जित था।
- भारत में विश्व में दूसरे सर्वाधिक इंटरनेट उपयोगकर्ता
- चीन के बाद, भारत के इंटरनेट उपयोगकर्ता विश्व में दूसरे स्थान पर पहुँच गए हैं। यह निश्चित है कि भविष्य के बाजार एशिया के होंगे!
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