शासन का अर्थ है निर्णय लेने और लिए गए निर्णयों के क्रियान्वयन की प्रक्रिया। सरकार का काम जनता के कल्याण के लिए निर्णय लेने का है जिसनें उ...
शासन का अर्थ है निर्णय लेने और लिए गए निर्णयों के क्रियान्वयन की प्रक्रिया। सरकार का काम जनता के कल्याण के लिए निर्णय लेने का है जिसनें उसे इस कार्य के लिए निर्वाचित किया है। शासन में उसकी भूनिका सक्रिय निर्णय लेने तक ही सीमित होना चाहिए उससे अधिक नहीं। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि बेहतर शासन के लिए न्यूनतम सरकार पहली पूर्वशर्त है। सरकार द्वारा लिए गए निर्णयों के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी क्रियान्वयन के लिए निर्माण और स्थापित की गई विभिन्न संस्थाओं की होनी चाहिए। सरकार की विफलता सरकार द्वारा लिए गए निर्णयों के गैर-क्रियान्वयन में प्रतिबिंबित होती है। अतः शक्तिशाली व्यवस्था या तंत्र स्थापित किये जाने चाहिए, और उन्हें काम करना चाहिए। यही संस्थागत व्यवस्था (institutional mechanism) या तंत्र है।
इस प्रकार, निर्वाचित सरकार + मजबूत संस्थाएं = प्रभावी शासन
अतः शासन व्यवस्था को प्रभावी और कुशल होने के लिए यह आवश्यक है कि क्रियान्वयन के लिए उपयुक्त संस्थाएं मौजूद हों। जब हम कहते हैं कि सोमालिया एक विफल राष्ट्र है तो इसका अर्थ यह है कि वहां संस्थागत तंत्र का अभाव है।फिर चाहे वहां सरकार स्थापित क्यों न हो (चाहे निर्वाचित या पद पर आसीन की गई !)। ये संस्थाएं ही सरकार की सफलता या असफलता को निर्धारित करती हैं। दीर्घकाल में दीर्घकाल में केवल काबिल संस्थागत तंत्र किसी आधुनिक लाकतांत्रिक समाज की सफलता या असफलता के लिए निर्णायक होता है।
इस प्रकार, निर्वाचित सरकार + मजबूत संस्थाएं = प्रभावी शासन
अतः शासन व्यवस्था को प्रभावी और कुशल होने के लिए यह आवश्यक है कि क्रियान्वयन के लिए उपयुक्त संस्थाएं मौजूद हों। जब हम कहते हैं कि सोमालिया एक विफल राष्ट्र है तो इसका अर्थ यह है कि वहां संस्थागत तंत्र का अभाव है।फिर चाहे वहां सरकार स्थापित क्यों न हो (चाहे निर्वाचित या पद पर आसीन की गई !)। ये संस्थाएं ही सरकार की सफलता या असफलता को निर्धारित करती हैं। दीर्घकाल में दीर्घकाल में केवल काबिल संस्थागत तंत्र किसी आधुनिक लाकतांत्रिक समाज की सफलता या असफलता के लिए निर्णायक होता है।
अनेक कमियों और खामियों के बावजूद भारतीय व्यवस्था ने निर्वाचन आयोग (ECI), नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG), संघ लोक सेवा आयोग (UPSC), वित्त आयोग (FC) इत्यादि जैसी विश्वसनीय, प्रभावशाली और कुशल संस्थाओं के निर्माण का प्रदर्शन किया है जिन्होंने जिम्मेदारीपूर्वक विभिन्न शासकीय निर्णयों का क्रियान्वयन किया है। भारत के निर्वाचन आयोग द्वारा किये जाने वाले कार्य की विश्व भर में प्रशंसा हुई है। हम इस बात की कल्पना मात्र कर सकते हैं कि भारत जैसे विशाल, और विविधताओं से भरे देश में समय-समय पर विभिन्न चुनाव सफलतापूर्वक संपन्न करना कितना कठिन कार्य हो सकता है। परंतु देश का निर्वाचन आयोग इसकी स्थापना से लेकर अब तक इस कार्य को नैदानिक परिशुद्धता के साथ सफलतापूर्वक करता चला आ रहा है। उसी प्रकार हाल के दिनों में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) कार्यालय द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका के भी हम गवाह रहे हैं जिसमें बडे प्रभाव निर्मित करने वाले निर्णयों की खामियों को उजागर किया है । इस प्रकार के कार्य महत्वपूर्ण संस्थाओं की कार्यकुशलता के प्रति हमारे विश्वास में वृद्धि करते हैं।
अमेरिका विश्व में अपनी मजबूत स्थिति को केवल इसीलिए बनाये रखने में सफल हुआ है क्योंकि वहां स्वतंत्र संस्थाओं की मजबूत संस्कृति मौजूद है। परंतु केवल संस्थाओं की स्थापना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि स्थापित की गई संस्थाएं प्रभावशाली और कुशल भी होनी चाहिए। एक कुशल और प्रभावशाली संस्था में कुछ विशेषताएं होनी चाहिए जैसे उचित तटस्थता, और जवाबदेही। क्योंकि केवल ये विशेषताएं ही उन्हें जनता की आकाँक्षाओं के अनुरूप सरकारी निर्णयों के क्रियान्वयन की क्षमता प्रदान करती हैं।
अमेरिका विश्व में अपनी मजबूत स्थिति को केवल इसीलिए बनाये रखने में सफल हुआ है क्योंकि वहां स्वतंत्र संस्थाओं की मजबूत संस्कृति मौजूद है। परंतु केवल संस्थाओं की स्थापना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि स्थापित की गई संस्थाएं प्रभावशाली और कुशल भी होनी चाहिए। एक कुशल और प्रभावशाली संस्था में कुछ विशेषताएं होनी चाहिए जैसे उचित तटस्थता, और जवाबदेही। क्योंकि केवल ये विशेषताएं ही उन्हें जनता की आकाँक्षाओं के अनुरूप सरकारी निर्णयों के क्रियान्वयन की क्षमता प्रदान करती हैं।
जवाबदेही किसी भी कुशल संस्था की मूलभूत आवश्यकता होती है। वह अपने कार्यों के लिए जनता के प्रति जवाबदेह होनी चाहिए फिर चाहे वह कितनी भी शक्तिप्राप्त क्यों न हो । उसी प्रकार, पारदर्शिता भी एक अच्छी और कुशल संस्था की महत्वपूर्ण विशेषता होती है। सरकार द्वारा लिए गए निर्णयों का क्रियान्वयन होते हुए जनता को दिखना और समझना चाहिए। साथ ही संस्थाओं को अनुक्रियाशील, न्यायसंगत और समावेशी (responsive, equitable and inclusive) होना चाहिए। उन्हें समस्त समाज व्यवस्था की आवश्यकताओं की पूर्ति करना चाहिए। इस प्रक्रिया में सभी को सहभागी होने के उचित अवसर प्राप्त होने चाहिए। और अंत में, संस्थाओं को कुशल और प्रभावशाली होने के लिए आवश्यक है कि वे सहभागितापूर्ण हों। यह भागीदारी स्वरूप अनेक सामाजिक अच्छाइयां ला सकता है क्योंकि नागरिकों को लगता है क्योंकि निर्णय से प्रभावित होने वाले लोगों प्रक्रिया में सहभागी होने का अवसर मिलता है।
सारांश : खुशहाल समाज के लिए हमें निष्पक्ष चुनावों की आवश्यकता है जो एक ईमानदार सरकार का निर्माण करते हों। सरकार के निरवयव के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए हमें मजबूत संस्थाओं की आवश्यकता है। इन दोनों को सौहार्दपूर्ण वातावरण में काम करने के लिए हमें एक मजबूत संविधान की आवश्यकता है जो इन शक्ति केंद्रों के बीच उचित नियंत्रण और संतुलन बना सके!
[बोधि प्रश्न हल करें ##pencil##]
- [message]
- बोधि कडियां (गहन अध्ययन हेतु; सावधान: कुछ लिंक्स बाहरी हैं, कुछ बड़े पीडीएफ)
- ये एक अद्भुत चार्ट है - ध्यान से पढ़ें!
##chevron-right## भारत सरकार के मंत्रालयों की संपूर्ण संरचना यहाँ
COMMENTS