किसी भी सरकार के प्रदर्शन पर धारणा या राय व्यक्त करना सबसे पसंदीदा और साथ ही बेहद जटिल कार्य होता है! इसमें प्रत्येक बोधगम्य कारक महत्वपूर्...
किसी भी सरकार के प्रदर्शन पर धारणा या राय व्यक्त करना सबसे पसंदीदा और साथ ही बेहद जटिल कार्य होता है! इसमें प्रत्येक बोधगम्य कारक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है – व्यक्तिगत झुकाव, पसंद और नापसंद, ठोस तथ्य, पर्यावरणीय कारक, और अज्ञात और अदृश्य चर। और यदि सरकार नरेंद्र मोदी नामक व्यक्ति के नेतृत्व की हो, तो एक सुप्तप्रायः बुद्धिजीवी जो अज्ञातवास में सेवा-निवृत्त हो चुका हो, वो भी एक विद्युत-चलित प्रदर्शन देने में नहीं हिचकिचायेगा... ये है वस्तुस्थिति!
इससे पहले कि हम चर्चा करें "काले धन पर मोदी के परमाणु धमाके" की जो रु.५०० और रु.१००० पर लगी बंदिश से हुआ है, आइये पिछले ढाई वर्षों पर नज़र डालें!
किसी भी सरकार के प्रदर्शन पर बहुविध आतंरिक और बाह्य कारकों का भारी प्रभाव होता है। इनमें शामिल हैं –तत्काल पिछले समय की आर्थिक और राजनीतिक शासन की स्थिति, पिछली सरकार की नीतियों की दिशा, अर्थव्यवस्था का सामान्य विकासात्मक वातावरण, बिना सूचना के आने वाले प्राकृतिक कारक, वैश्विक आर्थिक परिदृश्य, विश्व भर में उभरने वाली राजनीतिक स्थितियां, हमारे अंतर्राष्ट्रीय संबंधों की स्थिति, बहुविध शासन अभिकरणों और प्राधिकारों के बीच परस्पर क्रिया, इत्यादि।
पृष्ठभूमि
वर्तमान भारत सरकार, जिसने मई 2014 में शासन की बागडोर संभाली, अपने पांच वर्षीय कार्यकाल का आधा समय पूर्ण कर चुकी है। चूंकि पूर्ववर्ती सरकार का अंत व निष्कासन आक्रामक भ्रष्टाचार-विरोधी प्रचार और आर्थिक गतिविधि के पुनरुज्जीवन की मांगों के बीच हुआ था, अतः इस सरकार से लोगों की अपेक्षाएं आसमान छूतीं थीं। साथ ही, वर्तमान सरकार के चुनाव अभियान ने इसे और बढ़ाने का कार्य किया, जो सर्व-व्यापी, भारी-निधीयन किया हुआ, व्यवस्थित रूप से नियोजित और बहुमुखी था। यूपीए 2 का निष्कासन और एनडीए का उद्घाटन लगभग एक युगारंभी क्षण प्रतीत होता था। चीजें चमत्कारी रूप से पुनर्गठित, पुनर्निर्मित और परिवर्तित होनेवाली थीं।
दुर्भाग्य से भारतीय मतदाता अक्सर यह गलती करता है ! हम अपने विशाल आकार, भारी राष्ट्रीय जटिलताओं और उस आरामदायक स्व-निष्क्रियता को कम आंकते हैं, जिसमें हमनें अपने आपको स्थित कर लिया है, और चाहते हैं कि स्वर्ग से कोई देवदूत आकर सब चीजों को एक रात में सुव्यवस्थित कर दे। हम चाहते हैं कि शेष सभी लोग हमारी स्थिति को परिवर्तित कर दें जबकि हम उसके लिए आवश्यक और अनिवार्य परिश्रम करना नहीं चाहते! और वर्तमान सरकार ने, पिछली सरकारों की ही भांति, लगातार भारतीय जनमानस की इस मानसिकता का अनुभव किया है। हम गाँधी जी के शब्द भूल जाते हैं – आप स्वयं वह परिवर्तन बनें जो आप विश्व में देखना चाहते हैं।
नरेंद्र मोदी सरकार के पांच व्यापक प्रयास - पढ़ने हेतु क्लिक करें
लगभग सभी लोग यह बात मानते हैं कि 2013-14 की आर्थिक क्षेत्र विषमता सहित देश में भारी नकारात्मकता की भावाना थी, जो दो वर्षों की शासन-रहित स्थिति, अनिर्णयता की स्थिति, नीतिगत निष्क्रियता और लगभग संपूर्ण राजनीतिक अराजकता का परिणाम थी। विभिन्न क्षेत्रों में विशाल घोटालों की शृंखला को कैग (CAG) जैसी संस्थाओं द्वारा उजागर करने से अनियंत्रित भ्रष्टाचार सामने आया, जिसे एक उत्साही मीडिया ने खूब उछाला। क्या यह स्थिति गठबंधन की राजनीति का परिणाम थी, जहाँ प्रत्येक व्यक्ति और दल निर्विवाद राजा था, या एक खामोश और शांत स्वभाव के प्रधानमंत्री की विफलता का परिणाम जिनके पास कोई प्रत्यक्ष अंतिम शक्ति नहीं थी, या यह स्थिति शुद्ध रूप से देश को लूटने के लालच का परिणाम थी इस विषय में हम शायद कभी भी निश्चित रूप से कुछ भी नहीं कह पाएंगे।
काम में जुट जाना
तो मोदी जी को सत्ता प्राप्त हुई, और वे अपनी विशिष्ट सीईओ शैली में नई पद्धति से सब ठीक करने के काम में लग गए। 15 अगस्त 2014 को लालकिले से उनके पहले भाषण से यह स्पष्ट हो गया था कि वे परिणाम चाहते हैं। और यहाँ "परिणाम" (business) का अर्थ है नई पद्धति से काम, जहाँ नई शब्दावलियाँ थीं, नई संरचनाएं थीं जिनका पिछले वर्षों के साथ साम्य नहीं था। राजनीतिक दृष्टि से यह बढ़िया था, क्योंकि आने वाले महीनों में प्रतीक-चिन्ह (icons - आइकन) पुनर्परिभाषित हो गए। संयोग से उनकी इस परिणाम-आधारित शैली के लिए उन्हें राजनीतिक विरोधियों की ओर से भारी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा जिन्होंने उन्हें अमीर-समर्थक और गरीब-विरोधी तमगा दिया।[next]
इन तत्काल चुनौतियों से मुकाबला करने का उनका दृष्टिकोण स्पष्ट था – किसानों को कृषि में न्यूनतम जोखिम का आश्वासन देने के लिए बहुविध योजनाएं और परियोजनाएं, किसी भी आलोचना पर प्रतिक्रिया देने के बजाय परिणाम देने पर ध्यान केंद्रित करना, विश्वास का पुनर्निर्माण करने और संबंधों में विस्तार करने के लिए लगभग सभी देशों में जाकर प्रयास करना।
शासन की प्रक्रियाओं और प्रतीकों को अपनी तरह से पुनर्गठित करने की उनकी इच्छा इसकी ब्रांडिंग के लिए अपनाई गई पद्धति में सबसे अधिक स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ती है।
अर्थव्यवस्था और संरचनात्मक सुधार
क्रियान्वयन और पारदर्शिता नियंत्रण-पट (Dashboards)
एक अन्य, उतनी ही महत्वपूर्ण बात, यह है कि सरकार अपने नीतिगत पहलों की निगरानी नियमित रूप से सर्वोच्च स्तर पर कर रही है, जिसके कारण नौकरशाही काम के प्रति सजग है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष व विश्व बैंक जैसी अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं ने सरकार द्वारा अपनाई जा रही सुधार प्रक्रिया की प्रशंसा की है। बहुविध पारदर्शी नियंत्रण-पट (Dashboards) (जिनमें से कुछ पहले भी मौजूद थे) काम में पारदर्शिता लाने में सहायक हुए हैं।
ग्रामीण और समाज के निचले तबके के लिए सरकार द्वारा उठाए गए सामाजिक मुद्दों संबंधी पहलें भी काफी नवीन हैं। इनमें जन-धन योजना, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण योजना (Direct Benefit Transfer), प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना, मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना (Soil health card scheme), अटल पेंशन योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, सभी के लिए आवास योजना, इत्यादि जैसी योजनाएं शामिल हैं। इन पहलों की दिशा एक अधिक समावेशी समाज की रचना की दृष्टि से निर्देशित है। इनके परिणाम आने में कुछ समय लगेगा।
आगे का मार्ग
हालांकि अभी भी ऐसे कुछ कमजोर क्षेत्र हैं जिनमें काफी काम किया जाना आवश्यक है, जिसमें से अधिकाँश काफी जटिल है। इनमें बैंकिंग क्षेत्र, जो गैर-निष्पादित आस्तियों के बोझ के नीचे दबा हुआ है, शामिल है। स्थाई पूँजी निर्माण एक अन्य क्षेत्र है जिसपर सरकार द्वारा ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है।
मजबूत क्षेत्रीय विरोधियों के समक्ष, हालांकि किसी प्रमुख राष्ट्रीय-स्तर विरोधी के अभाव में, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी अपना बचा हुआ कार्यकाल बिना अधिक विवाद और संघर्ष के पूर्ण करने के प्रति अग्रसर होते प्रतीत होते हैं। दिल्ली और बिहार जैसे कुछ राज्यों में हुई उनकी चुनावी पराजय को आमतौर पर भुला दिया गया है, और यदि वर्ष 2019 के संसदीय चुनावों में वे वापस आते हैं तो यह तय है कि प्रधानमंत्री मोदी भारतीय राजनीति पर अपनी अमिट छाप छोड़ेंगे।
इस दौरान भारत एक न्यून-आय देश से एक मध्यम-आय देश में परिवर्तित होने की राह देख रहा है। भारत के लोगों को आज भी सस्ते इलाज, सुगम सार्वजनिक परिवहन, श्वास लेने के लिए स्वच्छ हवा और एक ऐसे तंत्र की दरकार है जो १.३३ अरब लोगों की बात सुनता हो, और उनकी आकाँक्षाओं का समर्थन करता हो। आपने ये बोधि पढ़ी तब तक ये संख्या थोड़ी और बढ़ गयी!
इस विस्तृत व्याख्यान में, परिवर्तनकारी सरकार योजनाओं के बारे में जानें !
नीचे दी गई कमैंट्स थ्रेड में अपने विचार ज़रूर लिखियेगा (आप आसानी से हिंदी में भी लिख सकते हैं)। इससे हमें ये प्रोत्साहन मिलता है कि हमारी मेहनत आपके काम आ रही है, और इस बोधि में मूल्य संवर्धन भी होता रहता है।
इससे पहले कि हम चर्चा करें "काले धन पर मोदी के परमाणु धमाके" की जो रु.५०० और रु.१००० पर लगी बंदिश से हुआ है, आइये पिछले ढाई वर्षों पर नज़र डालें!
किसी भी सरकार के प्रदर्शन पर बहुविध आतंरिक और बाह्य कारकों का भारी प्रभाव होता है। इनमें शामिल हैं –तत्काल पिछले समय की आर्थिक और राजनीतिक शासन की स्थिति, पिछली सरकार की नीतियों की दिशा, अर्थव्यवस्था का सामान्य विकासात्मक वातावरण, बिना सूचना के आने वाले प्राकृतिक कारक, वैश्विक आर्थिक परिदृश्य, विश्व भर में उभरने वाली राजनीतिक स्थितियां, हमारे अंतर्राष्ट्रीय संबंधों की स्थिति, बहुविध शासन अभिकरणों और प्राधिकारों के बीच परस्पर क्रिया, इत्यादि।
हॉट सीट में आपका स्वागत है, नरेन्द्रभाई! |
पृष्ठभूमि
वर्तमान भारत सरकार, जिसने मई 2014 में शासन की बागडोर संभाली, अपने पांच वर्षीय कार्यकाल का आधा समय पूर्ण कर चुकी है। चूंकि पूर्ववर्ती सरकार का अंत व निष्कासन आक्रामक भ्रष्टाचार-विरोधी प्रचार और आर्थिक गतिविधि के पुनरुज्जीवन की मांगों के बीच हुआ था, अतः इस सरकार से लोगों की अपेक्षाएं आसमान छूतीं थीं। साथ ही, वर्तमान सरकार के चुनाव अभियान ने इसे और बढ़ाने का कार्य किया, जो सर्व-व्यापी, भारी-निधीयन किया हुआ, व्यवस्थित रूप से नियोजित और बहुमुखी था। यूपीए 2 का निष्कासन और एनडीए का उद्घाटन लगभग एक युगारंभी क्षण प्रतीत होता था। चीजें चमत्कारी रूप से पुनर्गठित, पुनर्निर्मित और परिवर्तित होनेवाली थीं।
दुर्भाग्य से भारतीय मतदाता अक्सर यह गलती करता है ! हम अपने विशाल आकार, भारी राष्ट्रीय जटिलताओं और उस आरामदायक स्व-निष्क्रियता को कम आंकते हैं, जिसमें हमनें अपने आपको स्थित कर लिया है, और चाहते हैं कि स्वर्ग से कोई देवदूत आकर सब चीजों को एक रात में सुव्यवस्थित कर दे। हम चाहते हैं कि शेष सभी लोग हमारी स्थिति को परिवर्तित कर दें जबकि हम उसके लिए आवश्यक और अनिवार्य परिश्रम करना नहीं चाहते! और वर्तमान सरकार ने, पिछली सरकारों की ही भांति, लगातार भारतीय जनमानस की इस मानसिकता का अनुभव किया है। हम गाँधी जी के शब्द भूल जाते हैं – आप स्वयं वह परिवर्तन बनें जो आप विश्व में देखना चाहते हैं।
- [message]
- भारत - प्रमुख आंकडें, तथ्य व संख्याएं (सभी २०१५ के लिए या वर्तमान २०१६ हेतु)
- जनसँख्या - १३३ करोड़ (1.३३ बिलियन), जीडीपी सांकेतिक - $ २.५ ट्रिलियन - विश्व में सांतवा, जीडीपी पीपीपी - $ ८.७ ट्रिलियन - विश्व में तीसरा, जीडीपी वृद्धि दर - ७.६ %, प्रति व्यक्ति जीडीपी सांकेतिक - $ १७१८ (विश्व में १४० वां), प्रति व्यक्ति जीडीपी पीपीपी - $ ६६५८ (विश्व में १२२ वां), जीडीपी का ढांचा - सेवा क्षेत्र ५० % से अधिक, शेष उद्योग व कृषि, व्यापार सुगमता सूचकांक (Ease of Doing Business) - १३०, निर्यात - $ २७३ बिलियन, आयात - $ ४१० बिलियन, विदेशी मुद्रा भंडार - $ ३७० बिलियन (विश्व में आंठवा)
नरेंद्र मोदी सरकार के पांच व्यापक प्रयास - पढ़ने हेतु क्लिक करें
- [vtab]
- विश्वास और आशावाद
- भारत और भारत के लोगों में, भविष्य के आशावाद के माध्यम से, विश्वास की भावना का पुनर्निर्माण। भारत १३३ करोड़ लोगों का एक युवा देश है, और यदि हम सब एक कदम साथ में लें, तो वह एक भारी-भरकम तरक्की हो सकती है (१५ अगस्त उत्सव में उनके अपने शब्द)। भारतीयों को मजबूत और ऊर्जावान नेता पसंद हैं (किसे नहीं होते) और मोदी जी ने बड़ी भीड़ों को भारत के भविष्य को लेकर सतत आशावादी रहने का मंत्र दिया है. वे जानते हैं कि एक नेता को सदा आशा का संचार करते रहना चाहिए। वे किस हद तक जा सकते हैं, इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है ०८ नवम्बर २०१६ को लिया गया क्रांतिकारी कालाधन विरोधी निर्णय।
- प्रशासन का पुनर्गठन
- शासन प्रक्रियाओं काए शासन तंत्रों, नई पद्धतियों और दृष्टिकोणों, परियोजनाओं और कार्य संस्कृति के माध्यम से बुनियादी पुनर्गठन। दशकों से सरकारी विभागों में एक सुप्त-कार्य संस्कृति के चलते और भ्रष्टाचार के कारण हमारी जड़ें कमज़ोर होती गयी हैं। मोदी का तरीका, जिसमें मंत्रियों तक को अपने कर्मचारियों के सुबह समय पर आने पर ज़ोर देना शामिल है, एक कार्य के प्रति नई अविलंबिता दर्शाता है जो भारतीय राजनीतिज्ञों में ज़रा कम ही देखने मिलती है। उनकी नई परियोजनाएं एक भारी पैमाना लिए होती हैं, और भविष्य-उन्मुख भी। बढ़िया उदाहरण है – J A M – जन-धन – आधार – मोबाइल [You can read this entire Bodhi in English here ##link##]
- नागरिक स्वामित्व भावना जगाना
- भारतीय लोगों को यह एहसास कराना कि हमें स्थिति को परिवर्तित करना होगा किसी और को नहीं - एक दृष्टि से यह किसी भी राजनीतिक दल के लिए सबसे कठिन कार्य है। इसका एक उदाहरण है – स्वच्छ भारत अभियान – जिसमें नागरिकों से उम्मीद की जाती है कि वे एक साफ़ वातावरण जो कचरे और गंदगी से मुक्त हो, मांगें, और उस प्रक्रिया में उनका योगदान भी अपेक्षित है। ये एक खतरनाक कदम है, चूंकि लोग अपने अनुभवों से इसके नतीजे जांच सकते हैं। इससे पता चलता है श्री मोदी का ऐसे कार्यों को अपने हाथ में लेने की क्षमता का, जिसमें जोखिम कम नहीं। और हम सोचते रह जाते हैं कि नागरिकों के जीवन से जुड़े इतने मूल विषय पर किसी और उच्च नेता ने पहले क्यों नहीं कहा!
- अंतरराष्ट्रीय पहुँच
- भारत के शत्रुओं की ओर से उठने वाले बहुविध खतरों और चुनौतियों को नियंत्रित और संतुलित करने के लिए भारतीय शक्ति की अंतरराष्ट्रीय पहुँच का पुनर्निर्माण करना। मोदी को एक "अप्रवासी प्रधानमन्त्री" होने के लिए, जो कभी-कभी अपने देश भी आ जाते हैं, अपमान और मजाक का विषय बनना पड़ा है। किन्तु आज, जब हम बड़ी अंतरराष्ट्रीय घटनाओं का भारत पर पड़ता सीधा प्रभाव देखते हैं, तो शायद आलोचकों को भी एक बार ये सुकून मिला होगा कि एक ऐसा नेता जो सीधे अंतरराष्ट्रीय नेताओं से सम्बन्ध बना कर मदद ले सके, और शत्रुओं से भिड़े, कमान संभाले हुए है। और हाँ, अपनी विदेश यात्राओं में सरकारी विमान में परिवार-सदस्यों को साथ न ले जाना और शराब-सेवन पर पूर्ण प्रतिबन्ध, निश्चित ही कइयों को अच्छा लगा है!
- निवेश, युवा, अर्थव्यवस्था
- बहुविध नई योजनाओं के माध्यम से विदेशी निवेश को आकर्षित करना, जिसमें आंतरिक जटिलताओं को सुव्यवस्थित करना भी शामिल है और संभव हो तो भारतीय युवाओं की क्षमताओं का कौशल निर्माण के माध्यम से पुनर्निर्माण करना। ये एक अपूर्ण कार्य है - दरअसल, ये शुरू ही हुआ है। भारत को एक भारी-भरकम कौशल निर्माण कार्यक्रम की आवश्यकता है जो हमारे प्रति माह नौकरी की तलाश में निकलने वाले ११ लाख युवाओं को, रोजगार-योग्य बनाये। ये अभी नहीं हो रहा। साथ ही, मोदी का विदेशी निवेश से स्थानीय विनिर्माण उद्योगों को गति देना का प्रयोजन कितना सफल होगा ये पता नहीं है, विशेषकर तब जब चीन से सम्बन्ध तनावपूर्ण हैं। यदि अगले कुछ वर्षों में मोदीजी ये कर पाए, तो बड़ी विजय होगी।
लगभग सभी लोग यह बात मानते हैं कि 2013-14 की आर्थिक क्षेत्र विषमता सहित देश में भारी नकारात्मकता की भावाना थी, जो दो वर्षों की शासन-रहित स्थिति, अनिर्णयता की स्थिति, नीतिगत निष्क्रियता और लगभग संपूर्ण राजनीतिक अराजकता का परिणाम थी। विभिन्न क्षेत्रों में विशाल घोटालों की शृंखला को कैग (CAG) जैसी संस्थाओं द्वारा उजागर करने से अनियंत्रित भ्रष्टाचार सामने आया, जिसे एक उत्साही मीडिया ने खूब उछाला। क्या यह स्थिति गठबंधन की राजनीति का परिणाम थी, जहाँ प्रत्येक व्यक्ति और दल निर्विवाद राजा था, या एक खामोश और शांत स्वभाव के प्रधानमंत्री की विफलता का परिणाम जिनके पास कोई प्रत्यक्ष अंतिम शक्ति नहीं थी, या यह स्थिति शुद्ध रूप से देश को लूटने के लालच का परिणाम थी इस विषय में हम शायद कभी भी निश्चित रूप से कुछ भी नहीं कह पाएंगे।
काम में जुट जाना
तो मोदी जी को सत्ता प्राप्त हुई, और वे अपनी विशिष्ट सीईओ शैली में नई पद्धति से सब ठीक करने के काम में लग गए। 15 अगस्त 2014 को लालकिले से उनके पहले भाषण से यह स्पष्ट हो गया था कि वे परिणाम चाहते हैं। और यहाँ "परिणाम" (business) का अर्थ है नई पद्धति से काम, जहाँ नई शब्दावलियाँ थीं, नई संरचनाएं थीं जिनका पिछले वर्षों के साथ साम्य नहीं था। राजनीतिक दृष्टि से यह बढ़िया था, क्योंकि आने वाले महीनों में प्रतीक-चिन्ह (icons - आइकन) पुनर्परिभाषित हो गए। संयोग से उनकी इस परिणाम-आधारित शैली के लिए उन्हें राजनीतिक विरोधियों की ओर से भारी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा जिन्होंने उन्हें अमीर-समर्थक और गरीब-विरोधी तमगा दिया।[next]
जिन्हें शासन और राजनीति की समझ है उनसे हम पूछें कि क्या परिवर्तित हुआ है तो इसका उत्तर सर्वसम्मत है – सरकार पारदर्शी और स्पष्ट नीतियों के माध्यम से स्थिति को ठीक करने का प्रयास कर रही है। यह प्रयास नीचे तक नहीं फैल पाया है, इसमें लोगों को आश्चर्य नहीं है।
मोदी जी के समक्ष तत्काल तीन चुनौतियाँ थीं - पढ़ने हेतु क्लिक करें
- [vtab]
- मॉनसूनी समस्याएं
- दो वर्ष से लगातार कमजोर मानसूनए जो किसी भी सरकार को हिलाकर रख देने के लिए पर्याप्त है। मोदी सरकार ने धीरे-धीरे स्थिति के अनुरूप खुद को ढाला, और कुछ व्यापक बीमा योजनाएं घोषित कीं (अब तक सफल नहीं) और अन्य उपाय भी
- राजनीतिक घर्षण
- अन्य लगभग सभी राजनीतिक दलों और कुछ को छोड़कर लगभग संपूर्ण मीडिया की ओर से होने वाली लगातार आलोचना। मोदी की विशिष्ट शैली में अपने कार्य और परियोजनाओं पर फोकस रखना, और उन्हें बोलने देना, शामिल है
- वैश्विक समस्याएं
- आर्थिक, राजनीतिक और रणनीतिक – जो लगभग दुर्गम प्रतीत होती थी। किन्तु, अंतरराष्ट्रीय नेताओं और आर्थिक रूप से शक्तिशाली राष्ट्रों के साथ सतत संपर्क ने अब धीरे-धीरे कुछ सकारात्मक गति दिखानी शुरू कर दी है
इन तत्काल चुनौतियों से मुकाबला करने का उनका दृष्टिकोण स्पष्ट था – किसानों को कृषि में न्यूनतम जोखिम का आश्वासन देने के लिए बहुविध योजनाएं और परियोजनाएं, किसी भी आलोचना पर प्रतिक्रिया देने के बजाय परिणाम देने पर ध्यान केंद्रित करना, विश्वास का पुनर्निर्माण करने और संबंधों में विस्तार करने के लिए लगभग सभी देशों में जाकर प्रयास करना।
शासन की प्रक्रियाओं और प्रतीकों को अपनी तरह से पुनर्गठित करने की उनकी इच्छा इसकी ब्रांडिंग के लिए अपनाई गई पद्धति में सबसे अधिक स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ती है।
- [message]
- प्रतीक-चिन्हों और जन-चेतना का पुनर्निर्माण
- दीनदयाल उपाध्याय ग्राम कौशल योजना – DDU-GKY, दीनदयाल अन्त्योदय योजना –राष्ट्रीय शहरी जीवननिर्वाह मिशन – DAY-NULM, अटल पेंशन योजना, अमृत – शहरी परिवहन के पुनरुज्जीवन के लिए अटल मिशन (जो पूर्व में जेएनएनयूआरएम था), नीति आयोग (पूर्व का योजना आयोग), आयुष मंत्रालय, प्रधानमंत्री जन-धन योजना, J – A – M योजना, अटल इनोवेशन मिशन, नमामि गंगे आदि
अर्थव्यवस्था और संरचनात्मक सुधार
अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर, जीडीपी वृद्धि दर के विषय में सभी प्रकार के संदेहों के बावजूद, भारत एक ऐसी दर से वृद्धि कर रहा है जिससे अन्य देशों को ईर्ष्या हो सकती है – 7 प्रतिशत से अधिक। हम विश्व की लगभग सभी प्रमुख वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं से आगे हैं जो एक वैश्विक मंदी में फंसे हुए प्रतीत हो रहे हैं।
- [message]
- महत्वपूर्ण क्षेत्रों में मूलभूत और ढांचागत सुधार
- जिन क्षेत्रों में तेजी आई है वे हैं - ##asterisk## कृषि ##asterisk## श्रम कानून ##asterisk## वित्तीय विनियम और मौद्रिक नीति ##asterisk## दिवालियापन संहिता ##asterisk## दूर संचार स्पेक्ट्रम एवं अन्य संसाधनों की पारदर्शी नीलामी ##asterisk## व्यापार सुगमता ##asterisk## नकद अनुवृत्ति वितरण के लिए प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण ##asterisk## जीएसटी अधिनियम का अधिनियमन ##asterisk## अधोसंरचना परियोजनाओं, रक्षा एवं रक्षा क्षेत्र में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश नीति ##asterisk## औद्योगिक अनुज्ञप्तियों का विस्तार। नौकरशाही से जुड़े विलंबों और उदासीनता के बावजूद निवेश का वातावरण भी उत्साहजनक नजर आ रहा है। अर्थव्यवस्था सभी महत्वपूर्ण वैश्विक सूचकांकों में धीरे-धीरे प्रगति कर रही है (कभी-कभी इसमें धीमापन आ जाता है)। सरकार चालू खाते के घाटे को नियंत्रित रखने और वित्तीय समेकन के प्रति प्रतिबद्ध प्रतीत होती है, जिसमें वैश्विक वस्तुओं की कीमतों में कमी भी सहायक हुई है, विशेष रूप से भारत जैसे देश के लिए जिसके वस्तु आयात अधिक हैं। और अंततः उन्होंने ०८ नवम्बर २०१६ को काले धन की कोठरियां सजाने वालों पर ऐसा हमला बोला जिससे संपूर्ण अर्थव्यवस्था पुनर्परिभाषित हो रही है
क्रियान्वयन और पारदर्शिता नियंत्रण-पट (Dashboards)
एक अन्य, उतनी ही महत्वपूर्ण बात, यह है कि सरकार अपने नीतिगत पहलों की निगरानी नियमित रूप से सर्वोच्च स्तर पर कर रही है, जिसके कारण नौकरशाही काम के प्रति सजग है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष व विश्व बैंक जैसी अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं ने सरकार द्वारा अपनाई जा रही सुधार प्रक्रिया की प्रशंसा की है। बहुविध पारदर्शी नियंत्रण-पट (Dashboards) (जिनमें से कुछ पहले भी मौजूद थे) काम में पारदर्शिता लाने में सहायक हुए हैं।
- [message]
- क्रियान्वयन और पारदर्शिता नियंत्रण-पट
- अनेक उदाहरण हैं ##asterisk## eTaal - इलेक्ट्रॉनिक लेन-देन समेकन लेयर ##asterisk## गर्व डैशबोर्ड - ग्रामीण विद्दयुतीकरण ऑनलाइन मॉनिटरिंग ##asterisk## राष्ट्रीय उजाला डैशबोर्ड ##asterisk## विद्दयुत-प्रवाह - कीमतें जांच लें इन सबको खुले में लाने की प्रशंसा करनी होगी, चूंकि असफलता मिलने पर सबको साफ़ दिखेगा, और सरकार की आलोचना भी हो सकती है
ग्रामीण और समाज के निचले तबके के लिए सरकार द्वारा उठाए गए सामाजिक मुद्दों संबंधी पहलें भी काफी नवीन हैं। इनमें जन-धन योजना, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण योजना (Direct Benefit Transfer), प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना, मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना (Soil health card scheme), अटल पेंशन योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, सभी के लिए आवास योजना, इत्यादि जैसी योजनाएं शामिल हैं। इन पहलों की दिशा एक अधिक समावेशी समाज की रचना की दृष्टि से निर्देशित है। इनके परिणाम आने में कुछ समय लगेगा।
आगे का मार्ग
हालांकि अभी भी ऐसे कुछ कमजोर क्षेत्र हैं जिनमें काफी काम किया जाना आवश्यक है, जिसमें से अधिकाँश काफी जटिल है। इनमें बैंकिंग क्षेत्र, जो गैर-निष्पादित आस्तियों के बोझ के नीचे दबा हुआ है, शामिल है। स्थाई पूँजी निर्माण एक अन्य क्षेत्र है जिसपर सरकार द्वारा ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है।
- [message]
- मोदी और उनकी सरकार की आलोचना
- कार्य करने की केंद्रीय-कृत प्रवृत्ति, गरीब वर्गों के प्रति असंवेदनशीलता, बहुत परिवर्तन बहुत तेज़ी से लाना, समय-समय पर हिन्दू कार्ड का इस्तेमाल, बड़े वादे बिना जमीनी हकीकत के कर देना, कम मंत्रीमंडलीय क्षमता, कार्य करने में कम स्वतंत्रता, मीडिया स्वतंत्रता कुचलना (हालिया आरोप), अमीरों के समर्थक और गरीबों के समर्थक नहीं
मजबूत क्षेत्रीय विरोधियों के समक्ष, हालांकि किसी प्रमुख राष्ट्रीय-स्तर विरोधी के अभाव में, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी अपना बचा हुआ कार्यकाल बिना अधिक विवाद और संघर्ष के पूर्ण करने के प्रति अग्रसर होते प्रतीत होते हैं। दिल्ली और बिहार जैसे कुछ राज्यों में हुई उनकी चुनावी पराजय को आमतौर पर भुला दिया गया है, और यदि वर्ष 2019 के संसदीय चुनावों में वे वापस आते हैं तो यह तय है कि प्रधानमंत्री मोदी भारतीय राजनीति पर अपनी अमिट छाप छोड़ेंगे।
इस दौरान भारत एक न्यून-आय देश से एक मध्यम-आय देश में परिवर्तित होने की राह देख रहा है। भारत के लोगों को आज भी सस्ते इलाज, सुगम सार्वजनिक परिवहन, श्वास लेने के लिए स्वच्छ हवा और एक ऐसे तंत्र की दरकार है जो १.३३ अरब लोगों की बात सुनता हो, और उनकी आकाँक्षाओं का समर्थन करता हो। आपने ये बोधि पढ़ी तब तक ये संख्या थोड़ी और बढ़ गयी!
- [message]
- काले धन के विरूद्ध मोदी का परमाणु धमाका
- ८ नवम्बर २०१६ की संध्या को, मंत्रिमंडल के बाहर बहुत कम व्यक्तियों को पता रहते, प्रधानमंत्री मोदी ने सबसे कड़ा कालाधन विरोधी कदम व्यक्तिगत रूप से टेलीविज़न पर घोषित किया। उन्होंने उसी मध्यरात्रि से रु.५०० और रु. १००० के वर्तमान नोटों को अमान्य वैध मुद्रा घोषित किया। इस कदम ने अचानक से सरकार के उस अभियान को केंद्रबिंदु पर ला खडा किया जो काले धन, हवाला-निधि से चलने वाली आतंक गतिविधियां और सरकारी कार्यालयों और मंत्रालयों में फैले भ्रष्टाचार के विरुद्ध छिड़ा हुआ है। इस कदम के असर दूर तक महसूस किये जायेंगे। हम लगातार इसे अपडेट करते रहेंगे। विस्तृत बोधि यहाँ पढ़ें
इस विस्तृत व्याख्यान में, परिवर्तनकारी सरकार योजनाओं के बारे में जानें !
नीचे दी गई कमैंट्स थ्रेड में अपने विचार ज़रूर लिखियेगा (आप आसानी से हिंदी में भी लिख सकते हैं)। इससे हमें ये प्रोत्साहन मिलता है कि हमारी मेहनत आपके काम आ रही है, और इस बोधि में मूल्य संवर्धन भी होता रहता है।
- [message]
- बोधि कडियां (गहन अध्ययन हेतु; सावधान: कुछ लिंक्स बाहरी हैं, कुछ बड़े पीडीएफ)
- ##chevron-right## भारतीय अर्थव्यवस्था पर आर.बी.आई. हैंडबुक सितंबर २०१६ पीडीएफ यहाँ ##chevron-right## १५ अगस्त २०१४ को मोदी लाल किले से यहाँ ##chevron-right## पीएम साइट - शासन की उपलब्धियां यहाँ ##chevron-right## अजीत रानाडे ने ५०० और १००० के नोटों के विमुद्रीकरण की पैरवी की यहाँ ##chevron-right## जे.ए.एम. JAM की ताक़त यहाँ भारतीय उद्यमियों की शक्ति जगाना यहाँ ##chevron-right## नीति आयोग यहाँ ##chevron-right## इ-ताल डैशबोर्ड यहाँ ##chevron-right## गर्व डैशबोर्ड यहाँ ##chevron-right## जीएसटी - विस्तृत जानकारी यहाँ ##chevron-right## जीडीपी गणना पद्धति पर विवाद - दो अंग्रेजी लेखों की तुलना यहाँ ##chevron-right## मोदी सरकार द्वारा किये विमुद्रीकरण पर विस्तृत बोधि यहाँ
COMMENTS