आतंक, जल और विदेश संबंध सितंबर 2016 में कश्मीर के उड़ी में, और बाद में अंत-नवम्बर नगरोटा में, भारतीय सेना के शिविर पर हुए आतंकवादी हमल...
आतंक, जल और विदेश संबंध
सितंबर 2016 में कश्मीर के उड़ी में, और बाद में अंत-नवम्बर नगरोटा में, भारतीय सेना के शिविर पर हुए आतंकवादी हमलों से दोनों पड़ोसी देशों के बीच तनाव एक नए चरम पर है। इस एक और निर्लज्ज आक्रमण के प्रदर्शन से भारत भौचक्का था और पाकिस्तान हमेशा की तरह अपनी तटस्थ भूमिका का जमकर बचाव कर रहा था!
इसके परिणामस्वरूप पाकिस्तान ने भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा कश्मीर के लोगों पर किये जा रहे कथित अत्याचारों के मुद्दे को उठाने का असफल प्रयास किया और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से तुरंत हस्तक्षेप करने की गुहार लगाई। हालांकि पाकिस्तान के इस प्रयासों को कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया प्राप्त नहीं हुई है। इसके विपरीत भारत ने आतंकवाद के प्रायोजन और पोषण के मूलभूत मुद्दे पर पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग करने का प्रयास किया। उसे अपने कूटनीतिक प्रयासों में कर्षण प्राप्त होता प्रतीत होता है।
[इस बोधि को अंग्रेजी में पढ़ें]
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हालांकि दोनों देश एक दूसरे के विरुद्ध चार युद्धों में संलग्न रहे हैं परंतु इससे पहले कभी भी भारतीय भावनाएं और संवेदनाएं इतनी आहत नहीं हुई थीं जितनी वे इस बार अनुभव की जा रही हैं। पहली बार भारतीय प्रतिष्ठान गंभीरता से पाकिस्तान के साथ हुई सिंधु नदी संधि को स्थगित करने पर विचार कर रहा है जो पिछले लगभग 60 वर्षों के दौरान एक पवित्र गाय की तरह रही है।
सिंधु नदी ऐतिहासिक रूप से एक महत्वपूर्ण नदी है। इसका जल तिब्बत और हिमालय की पर्वत श्रृंखला से शुरू होता है और पंजाब,हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर की पहाडियों से और पाकिस्तान के सिंध से प्रवाहित होते हुए कराची के निकट अरब सागर में मिलता है। 3000 वर्ष से भी अधिक पूर्व इन नदी घाटियों में फली-फूली विशाल सिंधु घाटी की सभ्यता में इसके उत्कर्ष के समय 1000 से भी अधिक शहरी क्षेत्र थे !
सिंधु नदी ऐतिहासिक रूप से एक महत्वपूर्ण नदी है। इसका जल तिब्बत और हिमालय की पर्वत श्रृंखला से शुरू होता है और पंजाब,हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर की पहाडियों से और पाकिस्तान के सिंध से प्रवाहित होते हुए कराची के निकट अरब सागर में मिलता है। 3000 वर्ष से भी अधिक पूर्व इन नदी घाटियों में फली-फूली विशाल सिंधु घाटी की सभ्यता में इसके उत्कर्ष के समय 1000 से भी अधिक शहरी क्षेत्र थे !
विश्व बैंक ने संधि करवाई
सिंधु जल बंटवारा संधि पर भारत और पाकिस्तान द्वारा 19 अक्टूबर 1960 को हस्ताक्षर किये गए थे जिसकी मध्यस्थता विश्व बैंक ने की थी । इस संधि का संबंध छह नदियों से है - तीन पूर्वी नदियों रावी, ब्यास, और सतलुज और उनकी उपनदियां और तीन पश्चिमी नदियां सिंधु, झेलम, चिनाब और उनकी उपनदियां।संधि के अनुसार भारत पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों के जल प्रवाह के 80 प्रतिशत का उपयोग करने की अनुमति देने के दायित्व के अधीन है। यह एकमात्र तथ्य ही इसे विश्व की सबसे उदारतम जल-साझेदारी संधियों में से एक बनाता है !
हाल की रिपोर्ट के अनुसार, भारत सरकार गंभीरता से सिंधु जल संधि को निलंबित करने के विकल्प के बारे में सोच रही है। परंतु क्या यह करना इतना आसान है जितना हम सोच रहे हैं? इस प्रश्न के उत्तर के कई आयाम हैं।
- जल बंटवारा समझौतों पर पहुंचना बहुत मुश्किल काम है। भारत क्षेत्र में देशों के बीच हुई कुल सात जल संधियों में से तीन जल बंटवारा संधियों में एक पक्ष है - पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि, बांग्लादेश के साथ गंगा जल संधि और नेपाल के साथ गंडक जल संधि। सिंधु जल संधि पर भारत की प्रतिक्रिया का क्षेत्र की अन्य दो संधियों पर भी प्रभाव पडने की निश्चित संभावना है।
- इसके कारण कश्मीर मुद्दे को एक अन्य आयाम मिल जाएगा और भारत की यह कठोर प्रतिक्रिया पाकिस्तान को इस मुद्दे को कश्मीर मुद्दे के साथ जोडने का एक और कारण मिल जाएगा। भारत की इस कार्यवाही को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमानवीय माना जा सकता है, और पानी खोने की कुछ सहानुभूति पाकिस्तान की ओर प्रवाहित हो सकती है।
- साथ ही, यदि भारत इस प्रकार से पाकिस्तान की बाहं मरोडने का प्रयास करता है, तो पाकिस्तान का सबसे निकट सहयोगी चीन भी ब्रह्मपुत्र नदी के संबंध में इसी प्रकार की कार्रवाई कर सकता है। वैसे भी चीन नदी पर आक्रामक रूप बांध बना रहा है।
- और अंत में, इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि इसके बावजूद भी पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज आ ही जाए। हमारा अनुभव तो यह कहता है कि पाकिस्तान को भारत से युद्ध में हारना पसंद है, और शांति उसकी तत्काल कार्य-सूची में नहीं है।
[Read this Bodhi in English]
पीओके के भीतर भारतीय सेना द्वारा किये गए पैने हमलों (सर्जिकल स्ट्राइक्स) की वजह से, ये तो साफ़ है कि पाकिस्तान भारत के साथ अपने सम्बन्ध के किसी भी पहलू को मनमर्जी से नहीं चला सकता, और यदि वह सकारात्मक रिश्ता बनाये रखना चाहता है तो उसे शांतिपूर्वक तरीके से कदम बढ़ाने होंगे ही।
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- ##crosshairs## आतंक और जल एक साथ नहीं चल सकते
- इस संधि के तहत भारत और पाकिस्तान के मतभेद किशनगंगा (३३० मेगावाट) और रातले (८५० मेगावाट) पनबिजली विद्युत संयंत्रों से सबंधित हैं। ये संयंत्र भारत क्रमशः किशनगंगा और चेनाब नदियों पर बना रहा है। १८ सितंबर के उडी आतंकी हमलों के बाद, प्रधानमंत्री मोदी ने सरकार को निर्देश दिए कि सिंधु जल संधि में भारत के हिस्से के उपयोग को तेज़ी से बढ़ाया जाये, और उन्होंने सिंधु जल आयुक्तों की २७ सितंबर की सभा भी रद्द कर दी। पाकिस्तान घबराया, और अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप की मांग की, जो नहीं हो पाया। अमेरिका ने सीधे मना कर दिया, और भारत ने विश्व बैंक से कहा है कि आंकलन हेतु निष्पक्ष विशषज्ञों को भेजे।
बोधि सारांश
सिंधु जल संधि पर प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और राष्ट्रपति अयूब खान द्वारा 19 सितंबर1960 को हस्ताक्षर किये गए थे। इस संधि में विश्व बैंक द्वारा मध्यस्थ की भूमिका निभाई गई थी। यह दोनों देशों में प्रवाहित होने वाली सिंधु नदी का जल किस प्रकार उपयोग किया जाएगा इसे निर्धारित करती है। ब्यास, रावी और सतलुज नदियां भारत द्वारा शासित होती हैं जबकि सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों का शासन पाकिस्तान द्वारा किया जाता है। चूंकि सिंधु नदी भारत से प्रवाहित होती है, अतः भारत इसके 20 प्रतिशत जल का सिंचाई, बिजली उत्पादन और परिवहन के लिए उपयोग करता है। इसके लिए स्थाई रूप से गठित द्विपक्षीय आयोग इसका प्रबंधन करता है। हालांकि सिंधु नदी का उद्गम तिब्बत से होता है, फिर भी चीन इस संधि का हिस्सा नहीं है।
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- ##paper-plane-o## सिविल सेवा परीक्षा २०१६ में सीधा प्रश्न
- सिन्धु
जल संधि का एक विवरण प्रस्तुत कीजिए तथा बदलते हुए द्विपक्षीय संबंधों के
संदर्भ में उसके पारिस्थितिक, आर्थिक एवं राजनीतिक निहितार्थों का परीक्षण
कीजिए | Present an account of the Indus Water Treaty and examine
its ecological, economic and political implications in the context of
changing bilateral relations.
##thumbs-o-up## श्रेष्ठ समाधान [बोधि बूस्टर प्रीमियम ##rocket##] [यू.पी.एस.सी. सेल्फ प्रेप कोर्स ##diamond##]
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