दीपावली या दिवाली एक पांच-दिवसीय भारतीय दीप-पर्व है ! यह भारत और विश्व भर में न केवल हिंदुओं द्वारा बल्कि मुस्लिम, सिख, जैन और अन्य धर्मों ...
दीपावली या दिवाली एक पांच-दिवसीय भारतीय दीप-पर्व है ! यह भारत और विश्व भर में न केवल हिंदुओं द्वारा बल्कि मुस्लिम, सिख, जैन और अन्य धर्मों के स्नेही लोगों द्वारा भी अत्यंत उत्साह से मनाया जाता है। अन्य सभी पर्वों की तुलना में दिवाली भारत का सबसे रंगीन और पवित्र पर्व है।
दिवाली पर्व के संबंध में एक नहीं बल्कि अनेक किंवदंतियाँ प्रचलित हैं। इनमें से सबसे आम, और विशेष रूप से उत्तर भारत में, का संबंध भगवान राम के 14 वर्षों के वनवास और दानवराज असुर राजा रावण के वध के बाद अपनी राजधानी में वापस आने से है। इस दृष्टि से, दिवाली बुराई पर अच्छाई की विजय का पर्व है जिसका स्वागत लोग दीपों के साथ और उत्सव मनाकर करते हैं। वर्ष की सबसे काली रात की समाप्ति होकर सुबह के तेजस्वी प्रकाश का आगमन होता है। दीप हमारे जीवन में आशा की किरणें जगाते हैं। पटाखे उत्साहजनक वातावरण का प्रतिनिधित्व करते हैं। मिठाइयाँ उत्सव जारी रखने का उत्साह, उल्लास और ऊर्जा निर्माण करती हैं! दीपावली का पर्व तीन हिंदू देवियों, लक्ष्मी, काली और सरस्वती की कृपापूर्ण प्रकृति को समर्पित है। लोग माँ लक्ष्मी का आशीष संपन्न, लाभदायक और शांतिपूर्ण जीवन के लिए प्राप्त करते हैं। माँ काली की पूजा (एक बंगाली परंपरा) संपत्ति की रक्षा के लिए शक्ति प्राप्त करने के लिए की जाती है, और ज्ञान की देवी सरस्वती की पूजा इसलिए की जाती है क्योंकि ज्ञान ही परम संपत्ति है, चूंकि उसका कुशल अनुप्रयोग पाशवी बल को पराजित करता है !
दिवाली से जुड़ी किंवदंतियाँ और ग्रंथ
हम हिंदू पौराणिक को जितना गहरा खोदते जाते हैं उतनी ही मन को प्रफुल्लित करने वाली अद्भुत बुद्धिमत्तापूर्ण कथाएँ बाहर आती हैं जो हमारे अंतर्मन को झकझोर देती हैं। आखिर दैदीप्यमान संस्कृति और 8000 वर्षों के प्रतापी इतिहास में ऐसे अनेक हीरे छिपे होंगे, जो खोजे जाने हैं ! एक सामान्य विषयवस्तु है हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास का कटाई पश्चात का मौसम। पद्म पुराण और स्कंद पुराण जैसे प्राचीन ग्रंथों में इसका उल्लेख मिलता है। दिए, जो दिवाली के पर्व का अभिन्न हिस्सा हैं, उनका उल्लेख स्कंद पुराण में प्रतीक रूप में सूर्य और हिंदू पंचांग के कार्तिक मास में उसके संक्रमण के प्रतिनिधित्व के रूप में किया गया है।
नागानंद में राजा हर्ष (7 वीं सदी) दीप प्रतिपदा उत्सव का उल्लेख करते हैं, जहाँ नवविवाहित दूल्हों और दुल्हनों को जगमगाते दीयों की रौशनी के बीच उपहार दिए जाते थे। राजशेखर ने नौवीं सदी की अपनी काव्यमीमांसा में दीपमालिका, घरों के रंग-रोगन और सडकों और बाजारों की सफाई का उल्लेख किया है। फारसी यात्री अल बिरूनी ने कार्तिक मास की अमावस्या को हिंदुओं द्वारा मनाये जाने वाले दिवाली पर्व का उल्लेख किया है। ज्ञात रहे यह 11 वीं सदी थी !
एक किंवदंती के अनुसार देवी लक्ष्मी (धन और संपन्नता की देवी) ने कार्तिक मास की अमावस्या को समुद्र-मंथन के दौरान अवतार लिया था। देवी लक्ष्मी के साथ दिवाली का संबंध इस प्रकार से जुड़ा है।
एक अन्य किंवदंती के अनुसार, विष्णु ने अपने पांचवे अवतार, वामनावतार में, देवी लक्ष्मी को राजा बलि से बचाया था। अतः लोग इस दिन को बुराई से मुक्ति के पर्व के रूप में मनाते हैं। ध्यान रखें कि इस संदर्भ में लक्ष्मी की अनेक व्याख्याएँ की जा सकती हैं।
ऐसी मान्यता है कि दिवाली से एक दिन पूर्व भगवान श्री कृष्ण ने राक्षस नरकासुर को परास्त किया और उसका वध किया था और उसके बंधकों को मुक्त किया था। इस मुक्ति का उत्सव विजय पर्व के रूप में दो दिन तक चला था।
महान महाकाव्य महाभारत के अनुसार, कार्तिक मास की अमावस्या के इसी दिन पांडव 12 वर्षों के निर्वासन के बाद वापस अपनी राजधानी पहुंचे थे। जो लोग पांडवों से प्रेम करते थे उन्होंने दीप जलाकर और उत्सव मनाकर उनका स्वागत किया था!
हिंदुओं के एक महान राजा विक्रमादित्य का राज्याभिषेक दिवाली के इसी पावन पर्व पर हुआ था अतः दिवाली के इस दिन को ऐतिहासिक महत्त्व भी प्राप्त हुआ !
अंत में, दिवाली का त्यौहार सर्दी के मौसम के आगमन का संदेश लेकर आता है। सर्दी के मौसम में मनुष्य का शरीर शुष्क हो जाता है और उसे नमी और वसा की आवश्यकता होती है – जो दिवाली के दौरान बने स्वादिष्ट व्यंजनों से पूरी होती है क्योंकि इनमें से अधिकांश व्यंजन तेल या घी में तले हुए होते हैं (अति स्वादिष्ट!) और दिवाली के बाद भी काफी दिनों तक खाए जाते हैं। संभवतः यह शरीर के लिए आवश्यक वसा प्रदान करने का एक तरीका होगा। शायद हमारे पूर्वज इन सभी बातों के लंबे समय से ज्ञाता रहे होंगे। यह भी हो सकता है कि उन्हें तले हुए व्यंजन बेहद पसंद हों ! अपनी परंपराओं को धन्यवाद।
सीमाओं पर तनावपूर्ण स्थिति देखते हुए, और हमारी सुरक्षा में लगे जवानों की असीम बहादुरी देखते हुए, प्रधानमंत्री ने नागरिकों से अपील की है कि अपनी भावनाएं दिवाली के शुभ अवसर पर सैनिकों से साझा करें। इस विचार को "सन्देश टू सोल्जर्स" (Sandesh to Soldiers) कहा गया है।
तो मित्रों आप सभी को दीपावली, इस त्योहारों के मौसम और आने वाले समय में स्वास्थ्य, समृद्धि और सफलताओं के लिए ढेर सारी शुभकामनाएँ।
टीम बोधि बूस्टर की ओर से दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ
नीचे दी गई कमैंट्स थ्रेड में अपने विचार ज़रूर लिखियेगा (आप आसानी से हिंदी में भी लिख सकते हैं)। इससे हमें ये प्रोत्साहन मिलता है कि हमारी मेहनत आपके काम आ रही है, और इस बोधि में मूल्य संवर्धन भी होता रहता है।
दिवाली पर्व के संबंध में एक नहीं बल्कि अनेक किंवदंतियाँ प्रचलित हैं। इनमें से सबसे आम, और विशेष रूप से उत्तर भारत में, का संबंध भगवान राम के 14 वर्षों के वनवास और दानवराज असुर राजा रावण के वध के बाद अपनी राजधानी में वापस आने से है। इस दृष्टि से, दिवाली बुराई पर अच्छाई की विजय का पर्व है जिसका स्वागत लोग दीपों के साथ और उत्सव मनाकर करते हैं। वर्ष की सबसे काली रात की समाप्ति होकर सुबह के तेजस्वी प्रकाश का आगमन होता है। दीप हमारे जीवन में आशा की किरणें जगाते हैं। पटाखे उत्साहजनक वातावरण का प्रतिनिधित्व करते हैं। मिठाइयाँ उत्सव जारी रखने का उत्साह, उल्लास और ऊर्जा निर्माण करती हैं! दीपावली का पर्व तीन हिंदू देवियों, लक्ष्मी, काली और सरस्वती की कृपापूर्ण प्रकृति को समर्पित है। लोग माँ लक्ष्मी का आशीष संपन्न, लाभदायक और शांतिपूर्ण जीवन के लिए प्राप्त करते हैं। माँ काली की पूजा (एक बंगाली परंपरा) संपत्ति की रक्षा के लिए शक्ति प्राप्त करने के लिए की जाती है, और ज्ञान की देवी सरस्वती की पूजा इसलिए की जाती है क्योंकि ज्ञान ही परम संपत्ति है, चूंकि उसका कुशल अनुप्रयोग पाशवी बल को पराजित करता है !
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- देवी लक्ष्मी और संपत्ति की हिंदू धर्म की अवधारणा
- लक्ष्मी का संबंध केवल संपत्ति या धन से नहीं है – बल्कि इस परिकल्पना में अनेक "संपत्ति रूप" शामिल हैं जैसे चातुर्य, बुद्धिमत्ता, संपत्ति के रूप में धन, अच्छा स्वास्थ्य प्रसन्नता, उत्कृष्ट पारिवारिक संबंध, शांति, समृद्धि इत्यादि। प्राचीन भारतीयों (हिंदुओं) द्वारा संपत्ति की अनुवांशिक जटिल भाषा की व्याख्या करने के लिए इतने प्रयास किये गए हैं, जो वास्तव में अद्भुत हैं। दुर्भाग्य से संपत्ति की आधुनिक अवधारणा केवल और केवल धन-संपत्ति तक ही सीमित होकर रह गई है।
दिवाली से जुड़ी किंवदंतियाँ और ग्रंथ
हम हिंदू पौराणिक को जितना गहरा खोदते जाते हैं उतनी ही मन को प्रफुल्लित करने वाली अद्भुत बुद्धिमत्तापूर्ण कथाएँ बाहर आती हैं जो हमारे अंतर्मन को झकझोर देती हैं। आखिर दैदीप्यमान संस्कृति और 8000 वर्षों के प्रतापी इतिहास में ऐसे अनेक हीरे छिपे होंगे, जो खोजे जाने हैं ! एक सामान्य विषयवस्तु है हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास का कटाई पश्चात का मौसम। पद्म पुराण और स्कंद पुराण जैसे प्राचीन ग्रंथों में इसका उल्लेख मिलता है। दिए, जो दिवाली के पर्व का अभिन्न हिस्सा हैं, उनका उल्लेख स्कंद पुराण में प्रतीक रूप में सूर्य और हिंदू पंचांग के कार्तिक मास में उसके संक्रमण के प्रतिनिधित्व के रूप में किया गया है।
नागानंद में राजा हर्ष (7 वीं सदी) दीप प्रतिपदा उत्सव का उल्लेख करते हैं, जहाँ नवविवाहित दूल्हों और दुल्हनों को जगमगाते दीयों की रौशनी के बीच उपहार दिए जाते थे। राजशेखर ने नौवीं सदी की अपनी काव्यमीमांसा में दीपमालिका, घरों के रंग-रोगन और सडकों और बाजारों की सफाई का उल्लेख किया है। फारसी यात्री अल बिरूनी ने कार्तिक मास की अमावस्या को हिंदुओं द्वारा मनाये जाने वाले दिवाली पर्व का उल्लेख किया है। ज्ञात रहे यह 11 वीं सदी थी !
एक किंवदंती के अनुसार देवी लक्ष्मी (धन और संपन्नता की देवी) ने कार्तिक मास की अमावस्या को समुद्र-मंथन के दौरान अवतार लिया था। देवी लक्ष्मी के साथ दिवाली का संबंध इस प्रकार से जुड़ा है।
एक अन्य किंवदंती के अनुसार, विष्णु ने अपने पांचवे अवतार, वामनावतार में, देवी लक्ष्मी को राजा बलि से बचाया था। अतः लोग इस दिन को बुराई से मुक्ति के पर्व के रूप में मनाते हैं। ध्यान रखें कि इस संदर्भ में लक्ष्मी की अनेक व्याख्याएँ की जा सकती हैं।
ऐसी मान्यता है कि दिवाली से एक दिन पूर्व भगवान श्री कृष्ण ने राक्षस नरकासुर को परास्त किया और उसका वध किया था और उसके बंधकों को मुक्त किया था। इस मुक्ति का उत्सव विजय पर्व के रूप में दो दिन तक चला था।
महान महाकाव्य महाभारत के अनुसार, कार्तिक मास की अमावस्या के इसी दिन पांडव 12 वर्षों के निर्वासन के बाद वापस अपनी राजधानी पहुंचे थे। जो लोग पांडवों से प्रेम करते थे उन्होंने दीप जलाकर और उत्सव मनाकर उनका स्वागत किया था!
हिंदुओं के एक महान राजा विक्रमादित्य का राज्याभिषेक दिवाली के इसी पावन पर्व पर हुआ था अतः दिवाली के इस दिन को ऐतिहासिक महत्त्व भी प्राप्त हुआ !
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- दीपावली पर्व के अद्भुत पांच दिन
- पहले दिन को धन्वंतरी त्रयोदशी या धन-तेरस कहते हैं। दूसरा दिन नरक चौदस का होता है। यह कार्तिक मास के काले-अँधेरे पखवाड़े की चौदहवीं चांद्र तिथि और दीपावली की पूर्व रात्रि होती है। इसी दिन भगवान् श्री कृष्ण ने असुर नरकासुर का वध करके संसार को भय से मुक्ति दिलाई थी। तीसरा दिन वास्तविक दिवाली–लक्ष्मी पूजन - का दिन होता है, और जब देवी लक्ष्मी की पूजा होती है और रौशनी और पटाखों की गूँज काले असमान को रौशनी और प्रकाश से भर देती है। दीपावली के चौथे दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। पांचवे दिन को भाई दूज कहते हैं, जो बहनों को समर्पित होता है। और निश्चित रूप से यह पर्व एक उत्कृष्ट रूप से सुगठित, एक संपूर्ण पर्व बन जाता है!
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- पारंपरिक लक्ष्मी पूजन के लिए अनुष्ठान तत्व
- देवी-देवताओं की तस्वीरें या मूर्तियाँ, चांदी के सिक्के, चावल, तांबूल पत्र, एक लोटे में जल, नारियल, सुपारी, कुमकुम, दिए, मिठाइयाँ, कपूर, अगरबत्ती, सूखे मेवे, पंचामृत, घी, भारी उत्साह और उल्लास, अनुष्ठान संपन्न करने में निपुण एक पंडित जी, मिठाइयाँ खाने के लिए उछल-कूद करते बच्चे, पूजा के परिणाम पर ध्यान केंद्रित करते गंभीर वयस्क व्यक्ति ##thumbs-up## ##thumbs-up## ##thumbs-up##
अंत में, दिवाली का त्यौहार सर्दी के मौसम के आगमन का संदेश लेकर आता है। सर्दी के मौसम में मनुष्य का शरीर शुष्क हो जाता है और उसे नमी और वसा की आवश्यकता होती है – जो दिवाली के दौरान बने स्वादिष्ट व्यंजनों से पूरी होती है क्योंकि इनमें से अधिकांश व्यंजन तेल या घी में तले हुए होते हैं (अति स्वादिष्ट!) और दिवाली के बाद भी काफी दिनों तक खाए जाते हैं। संभवतः यह शरीर के लिए आवश्यक वसा प्रदान करने का एक तरीका होगा। शायद हमारे पूर्वज इन सभी बातों के लंबे समय से ज्ञाता रहे होंगे। यह भी हो सकता है कि उन्हें तले हुए व्यंजन बेहद पसंद हों ! अपनी परंपराओं को धन्यवाद।
सीमाओं पर तनावपूर्ण स्थिति देखते हुए, और हमारी सुरक्षा में लगे जवानों की असीम बहादुरी देखते हुए, प्रधानमंत्री ने नागरिकों से अपील की है कि अपनी भावनाएं दिवाली के शुभ अवसर पर सैनिकों से साझा करें। इस विचार को "सन्देश टू सोल्जर्स" (Sandesh to Soldiers) कहा गया है।
तो मित्रों आप सभी को दीपावली, इस त्योहारों के मौसम और आने वाले समय में स्वास्थ्य, समृद्धि और सफलताओं के लिए ढेर सारी शुभकामनाएँ।
टीम बोधि बूस्टर की ओर से दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ
नीचे दी गई कमैंट्स थ्रेड में अपने विचार ज़रूर लिखियेगा (आप आसानी से हिंदी में भी लिख सकते हैं)। इससे हमें ये प्रोत्साहन मिलता है कि हमारी मेहनत आपके काम आ रही है, और इस बोधि में मूल्य संवर्धन भी होता रहता है।
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[अंग्रेजी में पढ़ें Read in English] [आप के लिए कुछ प्रेरणास्पद! ##heart-o##] [सारगर्भित बोधि खबरें ]
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